उनकी बातो पर हम
उनकी बातो पर हम
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उनकी बातों पर हम तो चले जा रहे हैं ,
अपने कंधो पर अर्थी लिये जा रहे हैं !
न सोचते समझते कितने मूढ़ हम हैं ,
प्रेम के बोल पर हम लुटे जा रहे हैं !
उनके वादों का कोई भरोसा नहीं ,
मेरी नजरों से अब तो छुपे जा रहे हैं !
मंच खाली अभी है किस ऊर्वशी का ,
मेनका की नजरों मे बसे जा रहे हैं !
अब आयेगी मन मे बसी लाडली ,
सपने कुँवारे सजे जा रहे हैं !