STORYMIRROR

RAJESH KUMAR

Others

4  

RAJESH KUMAR

Others

उम्मीदों भरा 2022

उम्मीदों भरा 2022

1 min
286

नया साल है द्वार तक 

पिछले 2,3 सालों में

अजब गजब है, गुजरा

 

कोरोना, डेल्टा और अब

ओमीक्रोन ने है, डराया

किसकी है ,साजिश 

या प्रकृति का कोप

कोई समझ ना पाया

 

अपने को बलवान समझते 

प्रकृति से कोई ना जीत पाया

यह भी कोरोना ने समझाया।

 

व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाती 

प्रकृति अपने पर जब है आती

 

सोचो और विचार करो 

नय वर्ष को खुशहाल करो

 

विकास है बहुत जरूरी

पर प्रकृति से ना छेड़छाड़ करो

अध्यात्म, योग, आयुर्वेद

सोच बदल सकता है,,,

समझों समझाओ व अपनाओं

 

पहले एक वीभत्स स्वरूप

फिर से ना उसको दोहराहो

मामूली सी ऑक्सीजन 

बेशकीमती हो गई

व्यवस्थाएं सब धरी रह गई।

 

हम पुराने ढर्रे में लौट आए 

जबकि पता है, समस्या खड़ी है

और बहुत बड़ी है।

 

क्या जीवन से बढ़कर भी

कुछ हो सकता है?

बात छोटी-मोटी है 

पर हम अंजान बन रहे।

 

हाथ धोना और सामाजिक दूरी 

क्या सुनने सुनाने के लिए ?

अपने पर अमल करने

के लिए हैं, सबसे जरूरी ।

 

माना की समस्याएं 

रोजगार ,रोजी रोटी की भी है

परंतु जीवन अमूल्य

इस पर तो विचार करें ।

 

माना की उमंग उत्साह

तीज त्यौहार ,मेले व ठेले 

है जरूरी 

लेकिन सावधानी भी है 

उन सबसे जरूरी।

 

डरना हम लोगों का स्वभाव नहीं

लेकिन सावधानी को ना चुनना

ये भी कोई अच्छा व्यवहार नहीं 

 

माना डर के नैया पार नहीं होती

लेकिन नासमझी से 

नैया पर नहीं होती।

 

नए वर्ष पर यही ,संकल्प करें

कोरोना रहे या समाप्त हो जाए

साफसफाई ,स्वास्थ्य हो सर्व्वोतम

यही मंत्र सबसे उत्तम।


Rate this content
Log in