उजास
उजास
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मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास हो
मैं तिमिर हूँ, घना-घना
तुम मेरा प्रकाश हो
मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास हो
मैं भटक रहा हूँ
जिस लिए,
तुम ही वो तलाश हो
इस मानव देह की नही
तुम आत्मा की प्यास हो
मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास है
कैसे कह दूं,
तू दिल में है
मेरी सोच से भी,
वो परे नहीं
मेरी सांस -सांस,
बेचैन है
आँखों को बरसों से,
जिस की तलाश है
जो जीवन की,
नित-नूतन आस है
सारी कायनात में,
जिस से प्रकाश है
तू वही तो, सब का उजास है।