उड़ते पंख
उड़ते पंख
उड़ते पंख लेकर उडना चाहता हूँ,
आसमान को छूना चाहता हूँ।
धरती पर दुनिया बहूँत बड़ी है,
आसमान से छोटी दुनिया देखना चाहता हूँ।
उड़ते पंख लेकर पंछी बनना चाहता हूँ,
हरियाली धरती को देखना चाहता हूँ।
दिन भर धूप में तपती है,
लोगो को फिर भी ठंडक देती है।
जो बोज सबका उठाती है,
उस धरती मां को उड उड कर देखना चाहता हूँ।
मे उड़ते पंख लेकर उडना चाहता हूँ।
यह उड़ते पंख मे नारी शक्ति को देना चाहता हूँ,
उनकी शक्तियों को दुनिया में दिखाना चाहता हूँ।
आज जब "मृदुल मन" सभी का बंध है कमरे में,
तब से में उड़ते पंख लेकर मस्त गगन में उड़ना चाहता हूँ,
आज मैं दुनिया के चमन में आजाद होना चाहता हूँ।