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Sandeep Kumar

Others

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Sandeep Kumar

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तुम्हीं दिल में तुम्हीं दिमाग में छाई हो

तुम्हीं दिल में तुम्हीं दिमाग में छाई हो

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तुम्हीं दिल में तुम्हीं दिमाग में छाई हो

कौन सी जादू मेरे ऊपर चलाई हो

बताओ ना ए जानम

कैसे मेरे दिल को चुराई हो।।


जो ख्यालों में ख्वाबों में छाई हो

बनकर साथ खड़ी परछाई हो

जरा सी ना टस से मस 

ऐसी तुम्हीं नजरें मेरे साथ आई हो।।


जैसे रंग रूप नखरे बाहर छाई हो

दिल की गुरबत में तेरी करुणा छाई हो

ऐसा क्या कर देती हो मेरी जान

जो लगती मेरे साथ तेरी यादों की मलाई हो।।



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