तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
दिल हर वक़्त
एक चौराहे पर खड़ा है,
और ये दिल भी ना जाने क्यूँ
जिद पर अड़ा है।
उनकी यादें खींच रही है
मुझको अपनी ओर,
तो कहीं वो तनहाईयाँ
थाम कर हाथ मेरा, रही है मुस्कुरा।
वो दूर खड़े नज़र आए तभी
चंद दोस्त मेरे,
मैने इशारों मे पूछा भी
क्यूँ हो वहाँ, ऐसे खड़े।
मुस्कुरा कर बोले तब वो
कैसे चले जाए यूँ,
तुम्हे छोड़कर
इन चौराहों पर अकेला।
जहां पर तुम
हमेशा से ही,
होती रही हो
अकेले ही परेशां।
तुम्हारा दिल चाहे किसी भी
चौराहे पर क्यों ना खड़ा हो,
याद रखना हम भी वहीं कहीं
तुम्हारे साथ ही नज़र आएंगे ।
बेझिझक चले आना,
बस उसी रास्ते पर तुम, ए दोस्त
मिल कर हम सब, एक रोज़,
फिर दूर तलक जाएंगे।
