तुम साथी
तुम साथी
तुम साथी .....थे।
पर साथ नहीं ...थे।
जब भी चाहा,
साथ तुम्हारा ,
वह हाथ नहीं थे।
तुम साथी .....थे।
पर साथ नहीं ..थे।
अकेला रहा या भीड़ में रहा।
जब भी चाहा साथ तुम्हारा।
तुम साथ नहीं ....थे।
तुम साथी .....थे।
पर साथ नहीं ....थे।
अपनी ख़ुशियों की तो,
कभी खबर नहीं थी।
तेरी ख़ुशियों ,
का दम भरते थे।
तुम्हारे भरोसे पर हम तो,
खुद पर भरोसा करते थे।
लेकिन तुम हम पर ही,
भरोसा नहीं करते थे।
हम भूल में थे।
जब आँख खुली।
खाली हाथों को मलते थे।
तुम साथी ....थे।
पर साथ नहीं ...थे।
इस सोच में,
हम दिन -रात
यह कैसी बिरहा,
जिसमें बरसों से,
हम ही जलते थे।
तुम साथी .....थे।
पर साथ नहीं...थे।
दिन रात अकेले चलते थे।
हर लड़ाई को,
हम अकेले ही लड़ते थे।
जीत गए हम दुनिया से,
तेरे दिल को जीत ना पाए।
इस सोच पर पल-पल मरते थे।