तुम परिवर्तन
तुम परिवर्तन
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तुम परिवर्तन
तुम गाता शैशव,
तुम अल्हड़ यौवन,
तुम कुंठाग्रस्त ज़रा,
तुम सौम्य मृत्यु।
फिर भी कुछ न हो।
जीवन बहता जाता,
हम भी जीते जाते।
कुछ भी हाथ न आता।
यों ही रीते रह जाते ,
यह सब क्यों होता है,
जो बनता है वह फिर
ढह क्यों जाता है।
