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Chandra prabha Kumar

Others

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Chandra prabha Kumar

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तुम परिवर्तन

तुम परिवर्तन

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तुम परिवर्तन 

   तुम गाता शैशव,

   तुम अल्हड़ यौवन,

   तुम कुंठाग्रस्त ज़रा,

   तुम सौम्य मृत्यु। 


  फिर भी कुछ न हो। 

   जीवन बहता जाता,

   हम भी जीते जाते। 

   कुछ भी हाथ न आता। 


   यों ही रीते रह जाते ,

  यह सब क्यों होता है,

   जो बनता है वह फिर

   ढह क्यों जाता है।


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