तुम हो महान
तुम हो महान
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सूरज आसमां से झाँके
गालों को फुला के।
करे सुबह का प्रणाम
भेजे अग्नि बांण।
बादल भी दूर भागे
सूरज से घबरा के।
हम तो हुए बेहाल
प्यास से बुरा हाल।
बोला बादल क्यो क्रोधित हो
मुझको पिघलाते हो।
सूरज भैया मान भी जाओ
आओ मिलकर खेले आँख मिचौली।
सूरज बोला सब से हमारी कट्टी
बात करो चाहे कितनी चटपटी।
चहे कितना लगालो मक्खन
अब न पिघलेंगे हम।
बादल कहे करो ना गुमान
कल फिर निकलोगे आसमान।
कुछ दिन मनालो छुट्टी
चाहे चीन चाहे जापान।
कल फिर निकलोगे
मेरे भारत में तुम हो महान।
