तुकबंदी
तुकबंदी
कुछ तो खामियां रही होगी ,
लोग यूं ही बदनाम करते नहीं।
ये तो दौलत का गुरूर है
वर्ना लोग सलाम करते नहीं।।
क्यों कामनाओं की तुम भी
अब तो लगाम कसते नहीं।
चौदह वरस वनवास काटा है,
यूं ही सभी राम बनते नहीं।।
कुत्तों के भौकने से हाथी,
रास्ता बदला नहीं करते।
जो ऐब गैरों के गिनाये
वो कभी काम करते नहीं।।
आगे बढ़ने के लिए
कुछ तो करना ही पड़ेगा।
ऐसे तो बैठे बैठे किसी को
दाम मिलते नहीं।।
राना तुम प्रेम की बंशी तो बजाओ।
देखना फिर कैसे श्याम मिलेगा।
