टीम - परिवार दूजा
टीम - परिवार दूजा
हाथों से हाथ मिलाकर, जब बनाया जाता है लंबा कारवां।
साथियों का साथ पाकर, तब छुआ जाता है ऊंचा आसमां।।
टीम में नए आने पर करते हैं सबसे अनजाना सा हाय, और टीम से जाने पर पहचाना सा गुडबाय।
इस आने-जाने के बीच कुछ याद हो ना हो, याद रहती है सदा दिन-रात साथ पी हुई टपरी वाली चाय।।
कुछ साथी रखते हैं अपने काम से काम, तो कुछ से पंगा हो जाता हैं।
कुछ बन जाते हैं दोस्त अच्छे, तो कुछ से एक अलग ही रिश्ता बन जाता हैं।।
कोई खुद से करता है हमेशा, काम मन लगाकर।
कोई दूर भागता है हमेशा, काम से मन चुराकर।।
जिस टीम का मैनेजर होता है, एक अच्छा सारथी।
वो टीम भले जीते ना जीते, पर वो कभी हारकर भी नहीं हारती।।
किसी की लगन किसी की मेहनत, तो होता है किसी का अनुभव।
टीम में जब हो सब साथ, तो हो जाता हैं असंभव भी संभव।।
डेडलाइन तक काम पूरा करने के लिए, जहां होता है जी़ तोड़कर काम।
फुर्सत की घड़ियों में तब, वहां पर ही होता है हंसी-ठिठोली और भरपूर आराम।।
सफलता सिर्फ आपको मिलें तो, बात रहती है आप तलक।
सफलता पूरी टीम को मिलें तो, होती है उसकी बात अलग।।
किसी ने क्या सच कहा है, कर्म होता है एक प्रकार की पूजा।
आफिस होता है दूसरा घर, और टीम होती है परिवार दूजा।।
