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Atul Balaghati

Others

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Atul Balaghati

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त्रिवेणी छंद

त्रिवेणी छंद

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== त्रिवेणी छंद ==
1.
लगा कुम्भ क्षिप्रा के तट
जहाँ छलका है अमृत घट
आओ भेदभाव की डुबकी मारे
2.
शाही स्नान करे सब जन
तन धुला पर सूखा मन
घृणा, द्वेष, कपट कब धुलोगे
3.
आज अचानक एक पुराना चेहरा याद आया
पर हरा मण्डप और लाल सेहरा याद आया
अब वो किसी और के हाथों का मुकद्दर है
4.
केसर की क्यारी में हिय के टुकड़े बोऐ हैं
वीर प्रसूता माँ ओं ने कितने बेटे खोऐ हैं
लेकिन हम उस माता का बलिदान भूल गऐ
5.
ए. सी.  घर में रहने वाले भी सड़कोंं पर आ गये
आसमान में उड़ने वाले भी कंकर से ठोकर खा गये
फिर कहते हो तुम कि अच्छे दिन नहीं आये हैं

अतुल बालाघाटी


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