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चौपाई

चौपाई

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नारी नर की है पथ बाधा
नहीं देख सकता अब राधा
कभी बगल में नजरें डाली
पत्नी देती झट से ताली

नहीं पच रही दाल चपाती?
कह दो तो मैं पूरी लाती
बात बात में बनती रोड़ा
हे भगवन क्या नाता जोड़ा

जपले प्यारे पत्नी माला
मिल जायेगा अमरत प्याला
कभी जपे थे तुलसी काली
आज मिल रही उनको ताली

अतुल बालाघाटी


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