बचपना
बचपना
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बचपना
कभी गली में साथ खेले
सावन के झूले ख़ूब झूले
अपली तपली गुल्ली डंडा
कंचा पल्ली यह था फंडा
शाला से आते बस्ता फेंंको
झाँक घर से मंदिर में देखो
खेलने को कौन कौन आये
घरवाले कहीं देख न पाये
फिर बजाते मंदिर का घंटा
आने को यहाँ कोई न भूले
यह बचपन का खेल निराला
सबके दिल थे खुले खुले
