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प्रेम और प्रकृति

प्रेम और प्रकृति

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🌹प्रेम और प्रकृति 🌹
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चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें
अपनी प्रेम निशानी 

बैठ छाँव मेंं पथिक पढ़े
अपनी प्रेम कहानी!!

 

कहीं लगायें वृक्ष आम के
कोयल राग सुनायेगी
कहीं लगायें वृक्ष पलाश के
बासंती देख मुस्कायेगी

हो आँगन में तुलसी,  पीपल
मिले पवन सुहानी 
चल सजनी!  कुछ पेड़ लगाऐं
अपनी प्रेम निशानी!! 1

 

शुद्ध, स्वच्छ हो पर्यावरण 
संरक्षण दे इस माती को
आज देंगे हम एक संदेशा 
इस सारी मानव जाति को

परहित में हमको जीना
हमने यब है ठानी
चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें 
अपनी प्रेम निशानी!! 2

 

हँस रहा है खुलकर सावन
चल झूले वट बेलाओं से
धरा बसंत का स्वागत करती
लेकर नई-नई आशाओं से

आ सजनी! अब मन भर जियें
आई रूत मस्तानी
चल सजनी! कुछ पेड़ लगायें 
अपनी प्रेम निशानी !!3
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_/\_ कवि अतुल बालाघाटी

 


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