अच्युतं केशवं
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तरह-तरह की बोतलें,पर इनका क्या काम .
साकी भर दे जाम तू ,छक जाए यह शाम ..
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अलग-अलग हैं बोतलें,अलग-अलग हैं गंध .
तू ढाले जा स्वाद सब ,नशा न होवे मंद..
मन आस तारा
सहज तुमने अपन...
कल लुटेरे थे ...
धूम्रपान कर ब...
छिपा हृदय निज...
उर सहयोगी भाव
भट्टी सी धरती...
अलग हो रूप रं...
आला वाले डॉक्...
भारोत्तोलन खे...