तोंद
तोंद
हाय हमारी तोंद----
जिंदगी में झमेले झंझट
बहुत ।।
जिम्मेदारी रिश्तेदारी के लफड़े बहुत।।
स्वस्थ शरीर निर्मल काया पर्याप्त
माया जिंदगी को भाया।।
पर्यावरण प्रदूषण मिलावट
जमाखोरी रासायनिक उर्वरकों
का प्रयोग जिंदगी का दुश्मन
बन वक्त विकास के संग आया।।
बढ़ती जनसंख्या सीमित संसाधन
बढ़ती जरूरत भागम भाग जिंदगी
को मशीन बनाया।।
सुख शांति की तलाश में भटकता
इंसान जाने किस किस घाट का पानी
पी आया।।
देश का दिल दिल्ली पैदा होता बच्चा
उम्र कुदरत ने सौ साल बख्शी मगर
प्रदूषण के जहर ने कुदरत को भी
झुठलाया।।
फ़ास्ट फ़ूड जंक फूड ने देशी
व्यंजन ही भुलाया पिज़्ज़ा बर्गर
मोमो ने देश को ही विदेश बनाया।।
छोटे बड़े हर शहर गांव कस्बे में
विदेशी व्यंजन का बाज़ार है छाया।।
मेहनत तो बहुत करते पैसा भी पानी
कि तरह ही बहाते मगर सेहत को कौड़ी के मोल गंवाया।।
देश में गन्ने की उपज घट रही चीनी
मिले बंद है पड़ी मगर हर दूसरा इंसान
शुगर की बीमारी यानी चीनी की मिल
खुद की काया में लगाया।।
वर्क का प्रेशर कर्म धर्म दायित्व का
प्रेशर मुआ अब खून का प्रेशर ब्लड
प्रेशर जंजाल बन आया।।
काया में दम नहीं वजन किलो सौ
सीने की चौड़ाई जैसे गर्दन सुराही
पेट जैसे आठवां आश्चर्य ताजमहल
बन आया।।
क्या पूछना कोई कहता खाते पीते
घराने के है रईस मेहनत करते नहीं
मेहनत के लिए आदमी बहुत काम
कम।।
हाय री हमारी तोंद परेशान हम
सुबह से शाम शौच से शयन तक
उठने बैठने तक काया का बोझ
जहमत बन आया।।
बीबी कहती आप ना किसी काम
के ना दाम के रात को सोते तो घर
के बच्चे हम जागते खर्राटे ऐसे मारते
जैसे देशी स्वनो की गली में होड़।।
हाय री हमारी तोंद हाथ पैर सुखी
लकड़ी जैसे काया जैसे तोंद ही तोंद
गली मोहल्ले में कोई नाम से कम
जानता तोंद ही सब ओर।।
दोष भी किसे दे जंक फूड फास्ट
फूड का पर्यावरण प्रदूषण का मिलावटी संस्कृति का जहाँ हर
इंसान एक दूसरे पर कर रहा चोट।।
कुदरत क्या करे कुदरत से ऊपर
इंसान हो गया है अपने ही काया की
माया से परेशान हो गया है हाय री हमारी तोंद
तेरी वजह से मैं ही नहीं जमाना परेशान हो गया है।।