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Chetan Gondaliya

Others

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Chetan Gondaliya

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... तो मानुं !

... तो मानुं !

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हे, जादूगर जहां के,

जला के चौसठ को

ये कौड़ियाँ पागल कर तो मानूं !

काट के पूंछ शेर की,

बकरी बांडी कर तो मानूं !


भली-चंगी बंद ख्वाहिशें,

मत घुमा पुराने पत्तों पे,

रिदम में गुनगुनाते भौरों को

उन्मादी कर तो मानूं !


रूखी - शुष्क ये त्वचा,

नींद मलमल में लपेट कर, 

छिन्न-भिन्न सपनों की फिर से, 

पुतली जिंदा कर तो मानूं !


जाहल नाजुक जंजीरें 

ऋणानुबंध की 

तोड़फोड़ कर 

कर्ज की रकम सारी 

पूरी कर चुकता तो मानूं !


जख्मों में, अंधेरे ग्रहण में,

चांद उड़ेलता आहें और 

उड़े राख राख हो कर

वो रात कर चांदी-चांदी कर तो मानूं !




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