Arpita Sahoo
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ये तन्हाई भी अजीब है
जानलेवा भी है
मगर
ज़िंदगी का अहम हिस्सा भी यही है
दगाबाज़ों की बस्ती का आईना भी यही है
बेवफाओं की कश्ती में सवार
हर राही की राह भी यही है
है तन्हा उस जान की जान ये
नासूर उस दर्द की दवा भी यही है
कौन है वो?
जन्नत
जादुई लफ्ज़
कुसूर नहीं यह...
कुछ बदलने लगा
आखिर क्यों
वक्त का आईना
एक नया आगाज़
वो भी क्या दि...
जीने दो