तीन तलाक
तीन तलाक
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बेबसी आँखों में दिखे
ज़ख्म इतने है गहरे
तीन तलाक कहना आसान
बिखरे जिंदगी तिनका समान
बेसहारा बच्चे होते
क्रोध की परिणीति में
जैसा भी हो
अटूट ये बंधन
बिखरे कभी न किसी
का घर आँगन
इतिहास बदला
वक्त ने करवट ली
बन्द ये प्रथा हुई