Vijay Kumar parashar "साखी"
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किस को यहां पर पैसे का गुरुर है
किसी को यहां यौवन का सुरूर है
कोई अपनी शक्ति में ही यहां चूर है
अब हम कहाँ जाये प्यारे बजरंगी,
हम तो तेरी भक्ति में अंधे से सूर है
"गोवंश पर अत्...
"चमत्कार"
"दौर मुफ़लिसी ...
"दुआ-बद्दुआ,
"आंटा-सांटा"
"सिंदूर"
"बरसात"
"शांत और स्थि...
"दोगले इंसान"