तबस्सुम
तबस्सुम
तबस्सुम ने कहा है मुझे भुला दीजे
जो भी यादें है मेरी उन्हें मिटा दीजे
मेरी सारी तस्वीरो को छिपा दीजे
मुझको अब तुम्हारी फिक्र नही रही
तो अब मुझको अपनी पनाह से रिहा दीजे
मैं भी कुछ कहु तुमसे
तबस्सुम हसीना
ऐ नाज़नीना
तुमने बोला है मुझे भुला दीजे
मैं तुमको अपनी जान समझता हूँ
मैं अपनी जान लुटा दू क्या
तुम्हारे हिज्र में नींद नही आएगी मुझे
मैं अपनी रातों की नींद गवा दू क्या
मैं तुमको अपनी महबूबा मानता हूं
मैं हमारे सपने को जाला दू क्या
मुझको खत लिखकर बताया है तुमने
इश्क़ के मरीज को रूलाया है तुमने
हाथ थाम कर हाथ छुड़ाया है तुमने
अब मैं कैसे जाने दू तुम्हें
खुदको मेरा बताया है तुमने
मुझसे मिलकर गलती करी तुमने
तुम्हारी आँखो में यूं न खो जाते हम
तुम्हारे औऱ पास न आते हम
तुमपे यू फ़ना न होते हम
तुम न होती तो किसे सिने से लगाते हम
तबस्सुम मेरी जाना अब तुम वापस कभी न आना