सवाल आपका
सवाल आपका
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ज़ह्नो दिल में बसा है जमाल आपका
अब न रखता है तन्हा ख़्याल आपका
मुब्तला उलझनों में हैं क्यूं आज कल
सोचिए ,रिज़्क़ है क्या हलाल आपका
ये सुख़न और लफ़्ज़ों की जादूगरी
देखता है ज़माना कमाल आपका
ख्वाहिशें पूरी हों सारी अब आपकी
ढेरों खुशियां भरा आए साल आपका
हर घड़ी दिल में चुभता है देता है ग़म
तंज़िया पूछना वो सवाल आपका
आज तक पास ही हम ने रख्खा सनम
तर ब तर खुशबुओं से रुमाल आपका
लम्स मिलता है मुझको हरइक फूल में
पूछती हूँ हवाओं से ह़ाल आपका।
