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Kavi kapil khandelwal 'Kalash'

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Kavi kapil khandelwal 'Kalash'

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सुनहरे पल

सुनहरे पल

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जिंदगी एक सुनहरे पल की याद है 

जिसे हम चाहे जैसा बना दे 

रहे सुख-दुख में एक समान

न हो किसी से घृणा-द्वेष-जलन

और नही हो किसी की उन्नति से परेशान

सदा रहे जल की तरह समान 

हो आलोचना तो सुने 

उसे प्रशंसा समान 

करें सदा बुजुर्गों का सम्मान 

ना होने दें कभी उनका अपमान

हो बुजुर्गों का साया

तो हर दिन एक वरदान 

जिंदगी है सुख-दुःख का 

ताना-बाना एक समान

पल-पल जिंदगी दीये सी 

जलती जा रही है 

हर पल उम्र घटती जा रही है 

जिये हर दिन हर पल

जैसे एक वर्ष समान 



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