सुंदर दृश्य का सपना
सुंदर दृश्य का सपना
सुंदर दृश्य का सपना
लंबे-लंबे पहाड़,
हरी हरी पेड़ों की पत्ती,
सूरज का है प्रकाश,
पर नहीं है शेर की दहाड़।
चारों और नीला नभ,
साथ उसकी दोस्त ओस,
नीचे गहरी खाई है,
पहाड़ों की ऊंची चढ़ाई है।
सुंदर सुहाना मौसम है छाया,
कुदरत की इतनी अच्छी है यह माया,
सूरज की रोशनी में हम को दिखाया,
ठंड की इस ठंडी से मुझे बचाया।
पेड़ों के पत्तों पर ओस की वह बूंदे,
ओस की बूंदे बस सूरज को ही ढूंढे,
धुंध ने भी काफी धुंधला दिखाया,
सूरज भैया ने इसको भी मिटाया।
पहाड़ों के बीच से वह उग रहे थे,
अपनी रोशनी फैलाते हुए,
वह आ गए थे,
हम सोच में डूबे हुए।
पर यह किसने सोचा था,
मैं तो सो रही थी,
तभी मम्मी ने उठा दिया था,
दोनों आंखें झट से खुली थी।
वह दृश्य नहीं था अपना,
सब कुछ था एक सपना,
सपना बहुत खूबसूरत लगा,
मन को बड़ा लुभाता लगा।
कोई बात नहीं घूम आए
चाहे सच में ना जा पाए
लेकिन था वह एक सपना
जो था अब मेरा अपना।
