"सुहावनी ऋतु"
"सुहावनी ऋतु"
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बीत गये बसकारें,
ठंडी के दिन, अब आवे बारे।
आई शरद ऋतु लागे सुहावन,
धरती लागन लगी पावन-पावन।
उतर गयें नद-नाले,
ठंडी के दिन, अब आवे बारे।
बीत गये------
सखियां हिल-मिल चौथ मनावें,
माता भवानी को खूबै रिझावें।
सुखी रहें घरवारे,
ठंडी के दिन अब आवे बारे।
बीत गये------
सैया अब तो भरा दो रजाई,
बड़ी सुहावन ठंडी आई।
कपड़ा दिला दो ऊन बारे,
ठंडी के दिन अब आवे बारे।
बीत गये------
देखो अब तो आ गई दीवाली,
बड़ी मगन है दुनिया सारी।
सुंदर है देखो नजारे,
ठंडी के दिन अब आवे बारे।
बीत गये------