सुबह सुहानी आई है
सुबह सुहानी आई है
उठ जाओ अब मत सोचो, नभ तक लाली छाई है,
देखो बेटा तुम को जगाने, ये सुबह सुहानी आई है।
बिस्तर छोडो़ आंखें खोलो, हरियाली खिल आई है,
देखो बेटा तुम को सुनाने, ये नई कहानी लाई है।
उड़ते पंछी गाते मोर, इनसे धरती भी हरसाई है,
देखो बेटा तुम को उठाने, भोर की रानी आई है।
खिलते फूलों को देखो, इनसे प्रकृति मदमाई है,
देखो बेटा तुम को महकाने, ये नई सुगंध भी लाई है।
प्रकृति का यह रूप अनोखा, जिसने रातें बिसराई है,
देखो बेटा तुम को जगाने, ये सुबह सुहानी आई है।
