सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
आखिर क्या है सत्य ?
क्या यह वही है जो हमें दिखता है या दिख रहा ?
या यह वो है जो उनको दिखता है या दिख रहा !
गर नहीं तो आखिर क्या है सत्य ?
जो हमें नहीं दिख रहा या नहीं दिखता जो उनको दिखता है या दिख रहा ?
या उनको जो नहीं दिखता है या दिख रहा जो हमें दिखता है या दिख रहा ?
अगर हाँ ! तो आखिर क्यों नहीं हमें दिख रहा सत्य का असली चेहरा ?
वास्तव में देखा जाय तो सत्य सत्य नहीं है ना ही असत्य है !
सत्य वास्तव में निरपेक्ष नहीं अपितु सत्य तो सापेक्ष है !
जो जिस जगह ,जहाँ से देखता है उसके लिए वही सत्य है ।
जो जिस प्रकार की सत्य की परिकल्पना कर लेते हैं उनके लिए वही सत्य होता है ।
और सत्य में हम सत्य से कोसों दूर दिखते हैं !
ये भी एक कठोर सत्य है ।।
