सती का सतीत्व
सती का सतीत्व
हाथियों का सा बलशाली वानरराज बाली महान
दानवो को मारने वाला योद्धा वीर औ' बुद्धिमान
ललकारा जब सुग्रीव ने जाकर उसके द्वार
समझाने लगी पत्नी तारा उसको बारम्बार
किया वादा बाली ने अर्धांगिनी से
राजधर्म तो मैं अवश्य निभाउंगा
ललकारे कोई यदि द्वार पे आकर
तो उसे सबक अवश्य सीखाउँगा
पर बात तुम्हारी मानता हूँ
है सुग्रीव चूँकि भाई मेरा
नहीँ उसको मार गिराउंगा
करो विश्वास प्रिये तुम मेरा
जाने दूँगा जीवित वापस उसे
रण जीत शीघ्र लौट आऊँगा
तारा के चेहरे पे बूँदें पसीने की बह रही
चिंता की लकीरें माथे पे स्पष्ट दिख रही
कहा बाली ने अब चिंता क्यों प्रिये ?
साथ आये हैं राम लक्ष्मण इसलिये !
अरी जड़ मूर्ख नारी वो प्रभु हैं
उनसे कैसी शत्रुता हमारी ?
नहीँ भय मुझे श्री राम से
क्योंकि वो हैं धर्मात्मा
कर्तव्यकर्तव्य का है ज्ञान उन्हे
नहीँ अपराधी उनका मैं
फ़िर वे मुझसे क्यूँ रुठेंगे ?
सुग्रीव बाली के युध्द के दौरान
छिप कर खड़े हो गये भगवान
चला दिया पेड़ की ओट से बाण
चीत्कार उठा बाली वीर महान
टूटा विश्वास ह्रदय में पीड़ा
रक्तरंजित भूमि पर गिर पड़ा
एकटक देख रहा श्रीराम को
आँखो से बह उठी अश्रुधारा
मानो पूछ रहा हो प्रभु से कि
रचा ये कौन सा दंड विधान
निरपराध समझता बाली स्वयं को
वह श्री राम को उलाहना देता रहा
ओट में छिप कर बाण चलाने पर
प्रभु की प्रभुता पर शक करता रहा
धैर्यवान शांत श्रीराम समीप आये
कहा हे बाली तू था वीर बुद्धिमान
राज किष्किन्धा का प्राचीन महान
रावण काँख में तेरी खेल चुका है
कई राक्षसो को तू मसल चुका है
अंत:पुर में सुंदर वानरी कई हजार
तारा से शोभा तेरे महल की अपार
फ़िर किया कैसे तूने ऐसा अनाचार
निकाला भाई को अपने राज्य से
सम्पति पद से भी तूने च्यूत किया
पर छू कैसे पाया था रूमा* को तू
रिश्ते को तूने कलंकित किया
तू मेरे बाणों से लहूलुहान हो भले
पर तुझे मैंने नहीं तेरे कर्मों ने मारा
तूने एक सती का सतीत्व भ्रष्ट किया
रूमा - सुग्रीव की पत्नी का नाम।