सपने
सपने
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कहते हैं सुबह के सपने सच होते हैं
सच का तो पता नहीं दिन दूभर कर देते हैं..
अच्छा हो तो बेसब्री से इंतजार
अनचाहा हो तो दिन खराब।
अजीब सी दुविधा में दिन बीत जाए
काश सपना न आता मन यही चाहे।
फिर भी
मैं सपनों में जीना चाहूँ
अधूरे सपनों को पूर्ण कर पाऊँ
झूठे ही सही पर सुंदर पल जी पाऊँ।
