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Alok Singh

Others

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Alok Singh

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सफेद चादर

सफेद चादर

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सफेद चादर सी बिछी है शहर में

रंग लाखों हो गये हैं एक जैसे,

वो ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर रुई के फाहे

सभी पहाड़ लग रहे हैं एक जैसे ..

कहीं यूँ ही रास्तों में 

घायल से हैं पड़े सैकड़ों पेड़ लिये एक दर्द, 

टूटी टहनियां और फटे कपड़ों जैसे पत्तों का

लादे हुये बर्फ के मुकुट अपने ऊपर 

देखने में लग रहे राजा की तरह,

हर तरफ है यही मंजर 

लगता है जैसे 

हों युद्ध की तैयारी में 

लगाये मुकुट सभी राजा माहाराजा 

पर लडा़ई किस से ?

इस मौसम से ...

या प्रकृति से लडा़ई है प्रकृति की? 

पर नजारें देखने में 

मनमोहक हैं 

जानवरों ने भी ठानी है 

खुश होने की ।



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