संदेश
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ये जीवन हमें पल-पल संदेश देती है
ये प्रकृति हमें हर-पल संदेश देती है
जिंदगी कैसे जीए, हर-पल ये कहती है
पर हम अपनी मसरूफियत में इतना
चूर रहते हैं, इतना मजबूर रहते हैं कि
कुछ सुनते नहीं या अनसुना कर देते हैं
इसलिये प्रकृति भी हमसे प्रतिकार लेती है
अपनी बरबादियों का हरजाना लेती है
अगर हम अब भी ना सीखे और सँभले
तो प्रकृति ने हमें ये जो नेमतें बख्शी हैं
ये शजर, ये हवाएँ , ये नदिया ये पानी
एक दिन सब तमाम हो जाएगा......
मुट्ठी में फिसलती रेत की तरह और
मानव जाति का नामो निशां मिट जाएगा
