समुद्र किनारा-बड़ा प्यारा
समुद्र किनारा-बड़ा प्यारा
नीला-सा अम्बर, है ये नीला समुंदर,
दिल को छूती ये लहरों की हलचल,
बैठकर अक्सर इन लहरों के संग,
लिखती हूँ मैं कुछ हसरतें मलंग,
झूम कर आता है जब लहरों का शरारा,
लगता है बहुत प्यारा ये समुद्र का किनारा!
विशालता बहुत है, संभालता भी बहुत है,
लहरों के क्रोध को खुद में पालता भी है,
आती हुई नदियों से मिलता है ये खुलकर,
करता है प्रेम का फिर इजहार देखो सागर,
मिल नदियों से जब बढ़ता है इसका किनारा,
लगता है बहुत प्यारा ये समुद्र का किनारा!
समेटता भी है और बिखेरता भी बहुत है,
नदियों संग आये कचरे को कर देता है विलीन,
नदियों को कर विलय खुद में उन्हें निखारता भी है,
सीपों को ला किनारे उनके जीवन को संवारता भी है!
सबको ख़ुशी देकर देखो हो जाता है खुद ये खारा,
लगता है बहुत प्यारा ये समुद्र का किनारा!
चाहती हूँ कभी जाऊँ, संग इसके मैं कुछ पल बिताऊँ,
कुछ रेत के महल इसके किनारे बैठकर मैं भी बनाऊँ,
भीगी रेत पर चलूँ,लहरों के संग झूमूँ, पैरों को भिगोकर,
तेरे हाथों में हाथ डाले, फिर इक गजल तुझे मैं सुनाऊँ,
साथ हूँ हर पल तेरे, तू ही तो है मेरा हमसफ़र मेरा सहारा,
लगता है बहुत प्यारा ये समुद्र का किनारा!
