स्कूली शिक्षा...
स्कूली शिक्षा...
पढ़कर ही कृष्ण बने हैं राम बने हैं।
सरदार गांधी नेहरू तमाम बने हैं।।
आओ मिलजुल सब साथ पढ़ें।
इन्हीं स्कुलों से अब्दुल कलाम बने हैं।।
कतरा-कतरा देशभक्ति के मुकाम बने हैं।
माॅं भारती के हर्षित वो परिणाम बने हैं।।
पढ़कर ही बुद्ध हुए महावीर हुए।
विद्या-विवेक से ही कभी घनश्याम बने हैं।।
निश्छल मन आठों प्रहर आठों याम बने हैं।
माॅं वागेश्वरी के आशीष से तपोधाम बने हैं।।
गाॅंव-गाॅंव में अलख जगाओ ज्ञान का।
क्योंकि इस हवन कुण्ड में ही नंदीग्राम बने हैं।।
शिक्षा विहीन कभी हम गुलाम बने हैं।
आजादी के तख्त पर कोई लगाम बने हैं।।
देश विद्या विहीन खंडहर सा होता है।
विद्या से ही तो गुल-गुलशन-गुलफाम बने हैं।।
पूज्य आत्मानंद के प्रकल्पित वही ग्राम बने हैं।
चहुॅं दिग आनंदित हर्ष के आयाम बने हैं।।
विद्यालय की पावन धरा तुम्हें बुला रही।
यहीं स्कुली पोशाक में नन्हे नयनाभिराम बने हैं।।
