स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल
सब कहते मैं हो गया सफल,
पर वापस तो फिर न आएंगे,
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।
कुछ फिकर न दुनियादारी की,
जरूरत कुछ न होशियारी की।
बस खेल-कूद पढ़ना-लिखना,
चालाक नहीं रहना है सरल,
सब कहते मैं हो गया सफल,
पर वापस तो फिर न आएंगे,
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।
हों जगह कोई हो कोई पल,
हर दम ही सरल न कोई छल।
निश्चिंत जग की चिंताओं से,
निर्भय सारे मित्रों के दल।
सब कहते मैं हो गया सफल,
पर वापस तो फिर न आएंगे,
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।
पितु- मात सदृश सब शिक्षकगण,
भगिनी - बंधु सम सब सहपाठी।
सब सबके सहायक और रक्षक,
सब एक - दूजे की होते थे लाठी।
निर्भय सब ही रहते थे हर दम,
सबका बल था एक दूजे का बल।
सब कहते मैं हो गया सफल,
पर वापस तो फिर न आएंगे,
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।
मिल- जुल खाना हॅंसना गाना,
हो- हुल्लड़ जमकर मचवाना।
प्रकृति माॅं के आंचल में सिमट,
कुदरत में ही बस रम जाना।
बीता वह समय न आए फिर,
बस यादों में रहें केवल वे पल।
सब कहते मैं हो गया सफल,
पर वापस तो फिर न आएंगे,
स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।
