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Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल

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सब कहते मैं हो गया सफल,

पर वापस तो फिर न आएंगे,

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।


कुछ फिकर न दुनियादारी की,

जरूरत कुछ न होशियारी की।

बस खेल-कूद पढ़ना-लिखना,

चालाक नहीं रहना है सरल,

सब कहते मैं हो गया सफल,

पर वापस तो फिर न आएंगे,

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।


हों जगह कोई हो कोई पल,

हर दम ही सरल न कोई छल।

निश्चिंत जग की चिंताओं से,

निर्भय सारे मित्रों के दल।

सब कहते मैं हो गया सफल,

पर वापस तो फिर न आएंगे,

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।


पितु- मात सदृश सब शिक्षकगण,

भगिनी - बंधु सम सब सहपाठी।

सब सबके सहायक और रक्षक,

सब एक - दूजे की होते थे लाठी।

निर्भय सब ही रहते थे हर दम,

सबका बल था एक दूजे का बल।

सब कहते मैं हो गया सफल,

पर वापस तो फिर न आएंगे,

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।


मिल- जुल खाना हॅंसना गाना,

हो- हुल्लड़ जमकर मचवाना।

प्रकृति माॅं के आंचल में सिमट,

कुदरत में ही बस रम जाना।

बीता वह समय न आए फिर,

बस यादों में रहें केवल वे पल।

सब कहते मैं हो गया सफल,

पर वापस तो फिर न आएंगे,

स्कूली मस्ती के वे प्यारे पल।


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