श्याम बंसी बिन
श्याम बंसी बिन
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श्याम बंसी बिन
बिन बंसी के श्याम
सोच पाना भी मुश्किल
लिख पाना तो असंभव।
कान्हा की बंसी का
सारा ब्रज है दिवाना
ग्वाल बाल संग झूमे
बंसी की धुन पर राधा।
मुरली बजैया सबका खवैया
प्रभु अवतरण सबका सखा सवैया
सबको लगता अपना सगा सा
हर गोपी की वह कृष्ण कन्हैया।
श्याम बिन बंसी आत्मा बिन शरीर
जीवन की साँसे हैं कान्हा जी धुन
ये बंसी तो सबकी जीवन संजीवनी
बिन बंसी तो नहीं हम भी नहीं।
