श्रमिक /मज़दूर
श्रमिक /मज़दूर
मेहनत से करता मज़दूर मज़दूरी,
करते हैं, होती है उनकी मजबूरी।
सब्जीवाले धूप में गली-गली घूमते हैं,
सब्जी ले लो"सब्जी ले लो" यही बोलते हैं।
वहाँ मजदूर दिहाड़ी पूरी करते हैं,
धूप हो या बरसात कुछ नहीं देखते हैं।
तपती गर्मी में व्यक्ति कपड़े इस्त्री कर रहा,
आग जैसे जलते कोयले,पर सब सह रहा है।
कोई पीछे मेहनत से ना हटता है,
मेहनत कर व्यक्ति आगे बढ़ता है।
मेहनत इनकी कभी नहीं रुकती,
गर्मी सर्दी भी इनके आगे झुकती।
देखते रहते हैं, मजदूर करता है मजदूरी,
करते सब है, जब होती है अपनी मजबूरी।
सीख देता मजदूर का कार्य
फल मिलेगा,रखना थोड़ा धैर्य।
आदर सम्मान सबका करना चाहिए,
यह सब"हिम्मतवाले हैं" ऐसा कहना चाहिए !
