श्री राम वंदना...
श्री राम वंदना...
प्रभु श्री राम के चरणों में समर्पित-
(हरिगीतिका छंद- श्री राम वंदना)
हो साध्य तुम अरु साधना,पहचानते आराधना ।
निज को समर्पित कर करुॅं, तव पाद में मम वंदना ।।
रुप पाप का दसकंध सा, अब चाप कसकर तानना ।
तुम नाभि के संधान से, दसकंध को भी मारना ।।
तुम देख लो रुप काल का,यह तांडवी लंकेश सा ।
मरु पाप का क्यों फैलता,जब सत्य भू इस देश सा ।।
करुणा करो राघव अभी,यह कौन सी है आपदा ।
तुमने धरा जिस गात को,क्यों लूटती जन संपदा ।।
श्री राम प्रभु पग धूल को,धर लूॅं सदा मम माथ में ।
जिस राह में तुम पद धरे,मैं लोटते चलुॅं साथ में ।।
हो पुण्य परिणति कर्म में,मम भाग्य के सत्काम को ।
सत्संग से हो शत नमन, अवधेश प्रभु श्रीराम को ।।
