STORYMIRROR

J P Raghuwanshi

Others

4  

J P Raghuwanshi

Others

"शरद ऋतु का वर्णन"

"शरद ऋतु का वर्णन"

1 min
267


देखो, हो रई हैं, वर्षा की विदाई।

नीलिमा जा छाई,शरद ऋतु आई रे।


फूले कांश सकल महि छाई।

जनु वरषा कृत प्रकट बुढ़ाई।

घट रहें हैं ताल और तलाई।

शरद ऋतु आई रे।


उदित अगस्त पंथ जल सोषा।

जिमि लोभहि सोखहिं संतोषा।

मौसम ने ली अंगड़ाई।

शरद ऋतु आई रे।


रस-रस सूख सरित सर पानी।

ममता त्याग करहि जिमि ज्ञानी।

स्वच्छ भयें ताल और तलाई।

शरद ऋतु आई रे।।



Rate this content
Log in