श्राद्ध
श्राद्ध
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श्राद्ध
विश्वास
अंधविश्वास
के बीच फँसा
एक आम इंसान
जो पिसता है
दिन -रात
अपनी जरूरत
पूरी करने के लिए
ऐसे में जब पंडित
थमा दे
एक लम्बी लिस्ट
पूजा पाठ क्रम
पंडित भोज
पितरों के
लिए
श्राद्ध।
पिता के इलाज
माँ की लम्बी बीमारी
घर बेच दिया
जिस बेटे ने
अब कैसे वो प्रबंध
करेगा श्राद्ध का
अब कुछ नहीं
बचा घर में
जो रख सके गिरवी
कर सके पितरों
के लिए पूजा
पंडित भोज
श्राद्ध पर।
अहित डर से
जब करता है प्रयास
अच्छा सा भोज व
पूजा प्रबंध
खुद को मार कर
या बचा कुछ बेचकर
फिर से जीवन
बन जाता है
नरक से भी बदतर
चिंता खाती है
कैसे करेगा
अगले वर्ष
श्राद्ध।
