शराब
शराब
शराब पीना बुरी आदतों में सबसे प्रमुख है।
यह मनुष्य की नैतिक क्षमताओं
को पूरी तरह से नष्ट कर देता है,
सभी उच्च महत्वाकांक्षाओं और आकांक्षाओं और
मनुष्य की उच्च, महान प्रवृत्ति को मारता है।
यह शरीर और आत्मा दोनों को नुकसान पहुंचाता है।
मनुष्य का स्वभाव कठोर हो जाता है और
जब वह शराब का सेवन करता है तो
वह अत्यधिक निम्न स्तर तक डूब जाता है।
यह प्रथा इतनी व्यापक हो गई है कि
इसे एक सामाजिक उपलब्धि माना जाता है।
जिस स्थान पर मद्यपान होता है,
वहां कुप्रथाएं व्याप्त होती हैं ।
शराब पीना नैतिक जीवन का खतरनाक दुश्मन है।
इस बुराई को दूर भगाने के लिए
सख्ती से प्रयास करना सभी की जिम्मेदारी है।
