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Deepika Raj Solanki

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Deepika Raj Solanki

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शंभुनाथ

शंभुनाथ

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शंभु नाथ

हे !शंभू नाथ, कृपा निधान ,

त्रिनेत्र धारी भगवान,

भस्म लपेटे रहते शमशान ,

बाघ खाल कर्पट पहन,

बैठे रहते लगाएं ध्यान,

गले में धारण कर वासुकी नाग,

प्रभु मेरु पर्वत में होते विराजमान,

भूत भविष्य और वर्तमान सबका

रखते पूरा ज्ञान भाल पर चमकता

चंद्र और कपर्दी में बांध गंगा धार, 

 कर हलाहल का पान नीलकंठ कहलाएं भगवान,

 रज तम सत का रहता जिसमें वास,

 उत्पत्ति और विनाश देव के हैं राज,

 औघड़ बाबा बजा डमरु,

 उत्पन्न करते संगीत धुन और ताल,

 व्याकरण का दिया प्रभु ने जग को ज्ञान,

 ऐसे ज्ञानी है भगवान।

 वामदेव ले सुंदर काया, गण भूत प्रेत संग लेकर आए अपनी आर्या,

 जिन्हें आधे अंग में अपने समाया

अर्द्धनारीश्वर के रूप में नारी के मान को बढ़ाया ।

 पिनाक की टंकार से कांपता ब्रह्मांड,

 रूद्र रूप धरते जब शंभुनाथ ,

 अपनी त्रिनेत्र खोल क्रोध में आते नाथ ,

 नष्ट करते दूषित संसार,

 तांडव करते जब क्रोध मेआते शंभुनाथ ।

 धतूरा ,बेल पत्र और भांग

  लें जो करें प्रेम पूर्वक ईश्वर का आवाहन,

  पूरे करते ईश्वर उनके सारे काम,

  ऐसे हैं यह भोलेनाथ,

  जय हो नीलकंठ भगवान,

  जय हो जगत के पालनहार।

    

  

  

 

 


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