शिक्षा बनाम व्यापार
शिक्षा बनाम व्यापार


आज शिक्षा व्यापार बन गई है
पैसा कमाने का साधन बन गई है।
बच्चों को पढ़ाना नहीं आसान
फ़ीस के नाम खुली है दुकान।
कोनवैंट के नाम का ठप्पा लगाया
ऊँची फ़ीस से पेरैन्टस को ललचाया।
विद्यालय परिसर सुन्दर व लुभावना
पढ़ाई के नाम पर लम्बी लिस्ट पकड़ाना ।
ऊँची दुकान फीका पकवान
अमीरों को मिलता जहाँ नाम।
नर्सरी के एडमिसन की लम्बी कतार
वेट करो उमर हो जाएगी पार।
ट्यूशन का धंधा साथ चलता
न पढ़ने वाला कक्षा में पिछड़ता।
गुरू शिष्य की बातें हो गई पुरानी <
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डाँट जो लगायी तो याद आएगी नानी।
संस्कारों का साथ में हनन हो रहा है
नेतागिरी का बेनाम खेल चल रहा है ।
माँ बाप पैसा खर्च संतुष्ट हो जाते
बच्चें हो फेल, तब समझ न पाते।
बड़ी -बड़ी फ़ीस की गुहार लगाते
सिर से निकला पानी तो क्या कर पाते ।
बदकिस्मती से गर संगत हो जाए खराब
माँ-बाप का जीवन पर पड़ जाता दवाब।
शिक्षा के नाम अब होता है यहाँ व्यापार
जितना पैसा दोगे, वैसा मिलेगा व्यवहार।
अगर अब भी संभल गए, कुशल बहु तेरे
जीवन में नहीं मिलेगें शर्मिंदगी के फेरे।