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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

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शब्द बाण (कुण्डलिया)

शब्द बाण (कुण्डलिया)

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भटका भाई दर बदर, भरने मटका पूर्ण,

मटके में अटका रहा, उड़ने वाला चूर्ण।

उड़ने वाला चूर्ण, कहाँ पर टिक पाता है,

मिले पवन का वेग, फुर्र वह हो जाता है।

सतविंदर फिर खेल, खिलाड़ी देता झटका,

भौंचक होकर शांत, पड़े जो दर-दर भटका।



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