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Anita Sudhir

Others

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Anita Sudhir

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शायर

शायर

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202


हृदय की संवेदनाओं को

दिल की भावनाओं को 

पल-पल जीते पल-पल मरते ,

कल्पना शक्ति का जामा पहना 

शब्दों से कागज पर उकेरते

लहू की स्याही से लिखते,

श्रोताओं और पाठकों के

दिल के तारों को झंकृत कर

उसी विरह अग्नि में तड़पाते 

नायिका के सौंदर्य रस में डुबाते 

शहीदों की गाथा लिख क्रांति और चेतना लाते वही शायर बन पाते ।


भावों की अभिव्यक्ति को बड़ी खूबसूरती से 

बह्र ,काफिया और रदीफ़ से सजाते ,

कभी नज्म कहते ,कभी गजल

उर्दू की मीठी वाणी से कानों में रस घोलते 

जुबां से निकले शब्द शायरी में ढलते 

वही शायर बन पाते । 


शायर सशरीर रहे ,न रहे

शायरियां युगों युगों तक रहतीं

लोगों की जुबां पर चढ़ी 

वो ही शायर बन पाता।


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