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Rahul Molasi

Others

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Rahul Molasi

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शास्त्री जी तुम्हें नमन

शास्त्री जी तुम्हें नमन

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मंजूर नहीं में लूँ अनाज

निज आत्समान गंवा करके

शीश मातृभूमि का दूँ झुकने

बस उदर अपना भरने करके।


करा आवाहन, जनता के बीच

दुविधा में हूं आज तुम सबके बीच

मिलता अनाज, जिन शर्तों पर

हूं आज़ाद, नहीं लगता मगर।


पा सकते है खोया सम्मान

गर रखो मेरी बातों का मान

बस रखो व्रत एक दिन को आज

लौटा दूंगा में खोया सम्मान।


उद्घोष किया नए नारा का

जवानों का और किसानों का

आत्मनिर्भर, सक्षम हुए

हम धन्य तेरे, कृतज्ञ हुए।


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