Om Prakash Fulara
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सदाचार का पाठ हो , घर-घर सुबह व शाम।
काम क्रोध मद दूर हो, नहीं रहे मन काम।
नहीं रहे मन काम, शक्ति मिलती तन मन को।
अंतस हो उजास, मिले नव गति जीवन को।
कहें ओम यह बात, रखो ध्यान आचार का।
सभी को दो पढ़ाय, पाठ अब सदाचार का।
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चम्पकमाला छन्...
डरो ना
आत्मचिंतन