सच्चा साथी
सच्चा साथी
मुसीबतों से मेरा याराना कुछ यूँ रहा
मैं चला जिस भी गली भी, वो पहले से खड़ा रहा
यारी पक्की इसकी, कभी साथ छोड़ता नही
जितना भी जलील कर दूँ, यह मूंह मोड़ता नहीं
मौज का है क्या भरोसा,आज है तो कल नही
दूर कर दे इसको मुझसे, दूसरो में बल नही
है हमेशा साथ मेरे, लड़कपन से जवानी तक
साथ ही जाएगा मेरे इस में कोई छल नहीं
संग इसके मैंने हर रिश्तों को पहचाना है
कौन अपना और पराया, सबको मैंने जाना है
आइना बनकर इसने मेरा हौसला बढ़ाया है
अपने जैसा मेरा भी तो दबदबा बनाया है
था बड़ा कमज़ोर मुझको खुद पर ना यकीं था
दुसरो के आगे खुद को मैं समझता हीन था
भट्टी में जलाकर इसने कुंदन मुझको कर दिया
दाम पहले कुछ ना था अब मूलयवान कर दिया
जिसने इसको अपने ग़म का हमसफ़र बनाया है
उम्र भर एक हितैषी मुफ्त उसने पाया है
ये रहा जो साथ तो फिर थक कभी ना पाऊंगा
बस इसे हराने के धुन में जीतता मैं जाऊंगा।
