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Anjali Sharma

Others

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Anjali Sharma

Others

सभी

सभी

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जिंदगी खेल नहीं

फिर भी लोग फूंकते हैं ज़हरीले शौक,

ज़िन्दगी जीने को बहकते हैं जाम हर शाम,

दुखाते हैं दिल उन्हीं का जिनकी दुहाई दे

हर रोज़ घर से निकलते हैं,

जुटाने को सुख सुविधाएं

बनाने को अपना एक घर

गुज़ारते हैं दिन रात सड़कों पर।

दो रोटी की चाह में

छोड़ देते हैं खेत खलिहान

काट के जंगल बिछाते हैं पटरियां,

फिर चलते हैं रोपने दरख़्त गमलों में।

छूते हैं पैर माँ के घर मंदिर में

बजाते हैं सीटियां गली नुक्कड़ पे,

वक़्त बचाने को बनाई मशीनें

अब मशीनों के साथ वक़्त बिताते हैं सभी,

कुछ नहीं जाना साथ जानते हैं सभी

फिर भी सामान इकट्ठा करते जाते हैं सभी,

ज़िन्दगी कोई खेल नहीं मगर

ज़िन्दगी का मोल लगाते हैं सभी।



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