सावन में घिर आते बदरवा
सावन में घिर आते बदरवा
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
326
सखी घिर आए घिर आए
कारे कारे बदरवा
आँगन आँगन छम छम
पायलिया सी बजती बूंदे
बरसन की मनमोहक धुन में
हूक उठे अंतर मन में
सखी घिर आए घिर आए
कारे कारे बदरवा
भर-भर गागर लाये बदरवा
चंचल चपल हिरणी से
इत उत डोले
आसमां के अचरवा
सखी घिर आए घिर आए
कारे कारे बदरवा
जा कर भर तू
अपनी ताल और तलैया
तब लूंगी मैं तेरी बलईयाँ
गोरी कलईयाँ
हरी- हरी चुड़ियाँ
सिर पर धानी ओढ़नी सुहाए
सखी घिर आए घिर आए
कारे कारे बदरवा